बच्चों को बेहतर भविष्य देने हेतु मिलकर कदम बढ़ाये-पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती

 


                  अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस



ऋषिकेश । परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि हम जिस प्रकार की दुनिया बनाना चाहते है वैसे ही संस्कार अपने बच्चों में रोपित करना होगा। अगर हम एक शान्तिपूर्ण और बेहतर दुनिया चाहते है तो हमें आज से ही बच्चों को श्रेष्ठ शिक्षा और संस्कार देना होगा तथा बच्चों के बेहतर भविष्य के लिये मिलकर कदम बढ़ाना होगा।


विश्व भर में बाल अधिकारों के प्रति जागरूकता और सुरक्षा के लिये प्रत्येक वर्ष 20 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस मनाया जाता है। प्रत्येक बच्चे को सुरक्षित तथा न्यायपूर्ण वातावरण उपलब्ध कराना समाज के प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है। बच्चों को ‘गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, उचित पोषण, स्वच्छ और शुद्ध वातावरण, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ उनका सर्वांगीण विकास करना नितांत आवश्यक है। समाज को बच्चों के अधिकारों के प्रति जागरूकता करने तथा उनके कल्याण के लिये अन्तर्राष्ट्रीय एकजुटता हेतु बाल दिवस मनाया जाता है।


पूज्य स्वामी जी ने दुनिया भर के बच्चों का आह्वान करते हुये कहा कि आज की पीढ़ी को अपनी शिक्षा और स्वास्थ्य के साथ-साथ प्रकृति और पर्यावरण के विषय में भी जागरूक रहना होगा। बच्चों का भौतिक विकास के साथ-साथ आध्यात्मिक विकास भी अति आवश्यक है। उन्हें पाठ्यक्रम के साथ पर्यावरण और जीवन मूल्यों का ज्ञान करना भी बहुत जरूरी है।


पूज्य स्वामी जी ने कहा कि बच्चों के प्रति कई बार समाज का अमानवीय चेहरा देखने को मिलता है। छोटे-छोटे बच्चों के साथ हो रहे हिंसात्मक व्यवहार के बारे में बच्चों को जागरूक कराना जरूरी है। जिन बच्चों के परिवार नहीं है, उन नन्हें-नन्हें बच्चों को बचपन से ही अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मेरा मानना है है जो परिवार सक्षम है उन्हें ऐसे बच्चों को गोद लेने हेतु आगे आना चाहिये, साथ ही उनके बेहतर स्वस्थ, शिक्षा और सुरक्षित भविष्य को भी सुनिश्चित करना होगा ताकि उन बच्चों का जीवन और भविष्य दोनों को बदला जा सके।


पूज्य स्वामी जी ने कहा कि आज अन्तर्राष्ट्रीय बाल दिवस के अवसर पर हम सभी को दिव्यांग बच्चों के जीवन में आने वाली परेशानियों के विषय में भी जागरूक होना होगा। दिव्यांग बच्चें भी हमारे समाज का हिस्सा है, वे भी सामान्य बच्चों की तरह आगे बढ़ना चाहते हैं, उन्हें भी वही सम्मान और अधिकार मिलना चाहिये। उन्हें अपने जीवन में अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है इसलिये ऐसे बच्चों को सामाजिक सुरक्षा के साथ अतिरिक्त सहायता की भी जरूरत पड़ती है। अगर हमारा समाज और युवा पीढ़ी इन बातों के प्रति जागरूक हो जाये तो दिव्यांग बच्चों के जीवन में आने वाली कई समस्याओं को कम किया जा सकता है। आईये अन्तर्राष्ट्रीय बाल दिवस के अवसर पर बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिये संकल्प लें और अपना योगदान प्रदान करें।